माहिया छंद टप्पे माहिया छंद / टप्पे महिया तुझपे मरते जबसे मैंने जाना है जां तेरे ही नां ख्वाब तिरे देखे हम प्यार तुम्हे करते इक तुमको पाना है कब आओगे मिलने क्यों मतलब यारी को … Read more »
माहिया छंद टप्पे माहिया छंद / टप्पे महिया तुझपे मरते जबसे मैंने जाना है जां तेरे ही नां ख्वाब तिरे देखे हम प्यार तुम्हे करते इक तुमको पाना है कब आओगे मिलने क्यों मतलब यारी को … Read more »
छंद : माहिया MAHIYA CHHAND छंद परिचय :- माहिया छंद को टप्पे गीत नाम से भी जाना जाता है, इस छंद में संयोग और वियोग दोनों पक्षों का चित्रण किया जाता है एवं इस छंद को हास्य-परिहास में भी लिखा जा सकता है, इस छंद की तीन पंक्तियाँ होती है जिनमे क्रमशः १२-१०-१२ मात्राय… Read more »
जय महाकाल मत्तगयंद सवैया और अनुप्रास अलंकार का उदहारण (मत्तगयंद सवैया ) काल कराल कमाल करे, कब भक्त कपालि अकाल सतावै प्रेम, प्रभूति, पराक्रम औ, परिख्याति, परंजय, पौरुष पावै भाव भरी, मनसे, भगती, भय, भूत, भजा, भवभूत मिलावै ध्यान धरौ नित शंकर… Read more »
हरिपद छंद हरिपद छंद विधान : कुल 27 मात्रायें, चार चरण दो पंक्तियाँ समतुकांत, अंत में गुरु लघु आवश्यक उदाहरण :- आधार छंद : हरिपद सोलह ग्यारह पर लिखने हैं, चार चरण दो बंद चौपाई दोहा का मिश्रण, है यह हरिपद छंद सत्त… Read more »
दोहा छंद के नियम और उदाहरण यह अर्द्ध सममात्रिक छंद है । इसके चार चरण होते है । विषम चरणों अर्थात् प्रथम व तृतीय का मात्रा भार 13 होता है व सम चरणों अर्थात् द्वितीय व चतुर्थ का मात्रा भार ग्यारह होता है । दोहा छंद का आरंभ जगण से करने पर लय दोष उत्पन्न होता है इसलि… Read more »
उपजाति सवैया विधान : उपजाति सवैया क्रमशः दो सवैया का योग है , अथवा मिश्रित रूप है । जैसे इस सवैया में क्रमशः मत्तग्यन्द सवैया और सुंदरी सवैया का समावेश है । ताप परे नित तेज लग्यौ अब, फागुन ग्रीष्म ऋतू भर आईं मेल मिलाप करें ऋतु दो, बचकेउ नव… Read more »
अब तौ आजा मात भवानी तोहि रिझामें, तोहि मनावें, रे ! जग की ठकुरानी अर्चन - वंदन कौ विधान का, बोध न, हम अज्ञानी श्रद्धामय हो थाल सजायौ, करें भाव अगवानी कुमकुम टीका भाल लगाऊँ, ओढ चुनरिया धानी धूप, दीप, नैवैद्य, समर्पित, तुमको मा… Read more »
मैंने देखी नारि हजार पर ऐसी कहूँ न पाई जब देखी पहली बारी बू नारि सुशीला न्यारी बाने कूटी सब ससुरारि संग पति की करी कुटाई मैंने देखी नारि हजार पर ऐसी कहूँ न पाई आयौ दूजी कौ नम्बर बाकौ खातौ पीत… Read more »
उपेंद्रवज्रा छंद UPENDRAVJRA CHHAND [जतजगुगु] छंद विधान : क्रमशः जगण, तगण, जगण, दो गुरु न साधना, वंदन, मोहि आवै तुम्हें रिझाऊँ, विधि को बतावै सुवासिनी सिद्ध सुकाज कीजै विवेक औ बुध्दि “नवीन” दीजै - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष उपेन्… Read more »
पदपादाकुलक छंद का विधान एवं उदहारण पदपादाकुलक छंद {PADPADAKULAK CHHAND} पदपादाकुलक छंद विधान : – पदपादाकुलक छंद के चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में १६ मात्रायें होती हैं , छंद के आरम्भ में एक गुरु अथवा दो लघु (लघु-लघु) अनिवार्य होता है किन्तु त्रिक… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
अधिक जाने.... →
Follow Us
Stay updated via social channels