जय महाकाल 

मत्तगयंद सवैया और अनुप्रास अलंकार का उदहारण

(मत्तगयंद सवैया )

काल कराल कमाल करे,
कब भक्त कपालि अकाल सतावै

प्रेम, प्रभूति, पराक्रम औ,
परिख्याति, परंजय, पौरुष पावै

भाव भरी, मनसे, भगती,
भय, भूत, भजा, भवभूत मिलावै

ध्यान धरौ नित शंकर कौ,
सब कालन कौ यह काल कहावै

मत्तगयंद सवैया
मत्तगयंद सवैया