अब तौ  आजा  मात भवानी
तोहि   रिझामें, तोहि   मनावें, रे  ! जग की ठकुरानी
अर्चन - वंदन  कौ  विधान का, बोध न, हम  अज्ञानी
श्रद्धामय   हो   थाल   सजायौ, करें    भाव   अगवानी
कुमकुम  टीका   भाल लगाऊँ, ओढ  चुनरिया  धानी
धूप, दीप,   नैवैद्य,  समर्पित,  तुमको   मात शिवानी
देव, दैत्य, मिल   स्तुति गावै, कीर्ति  जगत ने जानी
भूल - चूक अपराध क्षमा हो, जो   कटु   सेवक  बानी
दीन  हीन मति क्षीण नवीना, शरण नयन भर पानी
मान  बढ़ा आसन ले  मइया, कर   किरपा कल्यानी
bhagwati pad bhajan