हाल जैसे रहें,मुस्कराते रहो गजल : Haal Jaise Rahe Muskrate Raho Gazal

गजल : हाल जैसे रहें,मुस्कराते रहो  Gazal : Haal Jaise Rahe Muskrate Raho  212-212-212-212[फाइलुन×4]  ---------------------------------------- हाल   जैसे      रहें,   मुस्कराते     रहो अश्क   हैं    कीमती, मत  गिराते  रहो --------------------------------… Read more »

दानवीर कर्ण Daanveer Karn ]

गाथा : दानवीर कर्ण की (आधार छंद : आल्हा) Gatha Daanveer Karn Ki (Aalha Chhand) दानवीर ,  कुंती   का    बेटा,  कर्ण   नाम    जिसकी   पहचान कथा  सुनाऊँ  आज  उसी  की , श्रोताओ    तुम   देना  ध्यान शूरसेन   राजा  का  संगी, कुन्तिभोज   था    जिनका   नाम कोई  … Read more »

दिग्पाल छन्द : Digpal Chhand

दिग्पाल छन्द : Digpal Chhand   यह मात्रिक छन्द है।  यह  २४  मात्रिक  छन्द  है ।  चार चरण, १२/१२  मात्रा  पर  यति,  चरणान्त       गुरु  दो - दो  पंक्ति  समतुकान्त,  इस छन्द की मापनी निम्न है- २२१,२१२२,२२१,२१२२ Example : उदाहरण  Digpal Chhand Ka Vidhan Or Ud… Read more »

कनक मंजरी छन्द [ Kanak Manjari Chhand]

कनक मंजरी छन्द    कनक-मंजरी छन्द विधान :  यह वार्णिक छन्द है।  गुरु का अर्थ गुरु, लघु का अर्थ लघु [ चार लघु + ६ भगण (२११)+ १ गुरु ] = २३ वर्ण , चार  चरण, सभी समतुकान्त [ मापनी  ११११,२११,२११,२११, २११,२११,२११,२ ] उदाहरण :   अभी उपलब्ध नहीं  .......... … Read more »

शंकर छंद [ Shanker Chhand ]

शंकर छंद [ Shanker Chhand ]  शंकर छंद  विधान :  16/10 अंत मे गुरु लघु क्रमशः दो - दो पंक्तियाँ समतुकांत दीन सुदामा   की  पुकार को, सुनो     राधेश्याम आठ पहर  जिसके अधरों पे, कृष्ण  रहता नाम पाँच द्वार से  भीख  माँगकर, पूर्ण   करता   धर्म कैसा  ये   प्… Read more »

पञ्चचामर छन्द [Panchchamar Chhand]

छन्द : पञ्चचामर  विधान- 【 121 212 121 212 121 2】 चार चरण, क्रमशः दो-दो चरण समतुकांत --------------------------- उठो  !  बढ़ो,  रुको  नहीं, करो,  मरो,  डरो नहीं बिना      करे   तरे   नहीं,  बिना  करे नहीं कहीं पुकारती    तुम्हे    धरा, दिखा शरीर शक्ति को … Read more »

बिहारी छंद [ Bihari Chhand ]

छंद - बिहारी छंद [ Bihari Chhand ]  विधान -  इसके प्रत्येक चरण में 14+8=22 मात्राएँ होती हैं , 14,8 मात्रा पर यति होती है तथा 5,6,11,12,17,18 वीं मात्रा लघु 1 होती है । एकाक्ष,    महाकांत,   महादेव,   भगाली हे  ! नाथ  महाकाल  गुणोकीर्ति निराली मैं  मूर्ख  … Read more »

Kundaliyan [कुण्डलियाँ]

छंद : कुण्डलियाँ   Chhand :Kundaliyan  (1) छंद    रचो   ऐसे  सभी, पढ़त   सुनत       आनंद हिंदी     का   उत्कर्ष   हैं, हिंदी        वाले       बंध हिंदी          वाले    बंध, शिल्प  जिनका है रोचक गति, यति, लय हैं अंग, पढ़े   लेखक   या  पाठक … Read more »

उत्कर्ष दोहावली [UtkarshDohawali]

उत्कर्ष दोहावली   [UTKARSH DOHAWALI)  दोहा छंद विधान : तेरह ग्यारह मात्रा भार के चार चरण प्रत्येक ग्यारहवीं मात्रा वाला वर्ण लघु , समचरण तुकांत राधेश्याम     कृपा    करो, काटो   भव  के फंद तबहि मजा ब्रज बास कौ, और   मिले   आंनद गिरिधर  तेरे   ही   … Read more »