गर्व से कहो हम ब्राह्मण हैं

जिंदगी के अंत तक,कष्ट के ज्वलन्त तक, रोम रोम मेरा परशुराम गीत गयेगा । विप्र अनुराग मेरा,विप्र मन राग मान, विप्र वंदना में मन,डूबता ही जायेगा । विप्र परिवार मेरा,विप्र व्यवहार मेरा, विप्र हूँ ये सोचकर,अरि घबरायेगा । जिंदगी,उत्कर्ष यह,विप्र कुल गौरव की, जिस दिन मा… Read more »

देशहित में आह्वान (मुक्तक )

बहुत     हुआ   मोदीजी   लेकिन,अब  बातों में सार नही । खामोशी    को     साधे    रहना,वीरों    का    श्रृंगार नही । मारो   इनको    या   दुत्कारो,ये    लातों    के   भूत    रहे । बहुत कर लिया अब तक लेकिन,अब कुत्तों से प्यार नही । Read more »

प्रेम गीत - Romantic Song

Romantic Hindi Songs मैं प्रेम डगर राही, रहूँ प्रेम के गांव मे मिट जाए तपन सभी, जुल्फों की छाँव में देखा जब से तुझको, बहका फिर से मन है आई रुत मस्तानी खिलता सा यौवन है मिट जाये तपन मेरी, जुल्फों की छांव में पहना दूँ पैजनिया, मैं … Read more »

पंचमगति छन्द सविधान : panchamgati chhand

पंचमगति छन्द Panchamgati Chhand [भगण जगण गुरु=7 वर्ण] राम    जप    राम रे   राम      प्रभु नाम रे भोर   यह, जान लो शेष   यह  मान  लो चेत    कर    मीत रे हार     मत, जीत रे सत्य यह सृष्टि का भेद   पर दृष्टि का राम   गुण  खान है … Read more »

बचपन : मत्तग्यन्द/मालती सवैया

!! बचपन !! [ मत्तग्यन्द/मालती सवैया ] (प्रथम) बालक थे जब मौज रही,मन  चाह  रही  वह पाय रहे थे । खेल लुका छिप खेल रहे,मनमीत   नये   हरषाय  रहे  थे । चोट  नही  तन  पे  मन पे,उस वक़्त खड़े मुस्काय रहे थे । रोक  रहो  कब कौन हमें,सब आपहि प्रीत लुटाय रहे थे । (द… Read more »

उत्कर्ष दोहावली

उत्कर्ष  दोहावली राधा  जपती  कृष्ण  को, कृष्ण  राधिका  नाम प्रीत  निराली  जग   कहे, रही   प्रीत  निष्काम  राम   नाम   ही   प्रीत  है, राम      नाम वैराग राम   किरण  है  भोर की, रे मानस मन जाग मन की मन में राखि ले,जब तक बने न काम निज कर्मन पर ध्यान… Read more »

GST : Goods Services Tax / वस्तु एवं सेवा कर

छंद : चौपाई + दोहा ---------------------------- नया   टैक्स  है   आने   वाला । बन्द   करे  गड़बड़   घोटाला ।। क़िस्त टैक्स की जमा कराओ । उचित समय पर इनपुट पाओ ।। दस  तारीख  रही  आमद  की । पन्द्रह  कर   दीनी  जामद की ।। जामद आमद  स्वयं  मिलाओ । चोरी  करो  न  चोर  … Read more »

झूठ : मनहरण कवित

विधा : मनहरण कवित छंद झूठ बोल छल रहे,झूठ से ही चल रहे, झूठ की इस झूठ को,दिल से निकालिए । झूठे रिश्ते झूठा जग,झूठन ही यहाँ सग, झूठे इस प्रपंच में,न खुद को डालिए । भरी यहाँ मोह माया,संभल न मन पाया, भ्रम से निकाल अब,मन को संभालिए । तारना है खुद को तो नेक राह … Read more »

उत्कर्ष दोहे/Utkarsh Dohe

उत्कर्ष दोहे ---------------- देख मुसीबत जप रहे,राम    नाम  अविराम । पहले ते  जपते अगर,तो डर का क्या काम ।। राम  नाम  ही  प्रीत  है,राम      नाम वैराग । राम किरण है भोर की,रे मानस मन जाग ।। नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” Read more »

My Thoughts and Discuss on "Religion"

मेरे विचार : धर्म धर्म का शाब्दिक अर्थ तक नही जानते लोग,और स्वयं को धर्म अनुयायी कहते है । धारण करने योग्य सभी तत्व चाहे वह विचार,गुण,कर्म,व्यवहार,जो उद्देश्य,व जीवन का सच्चा अर्थ साकार करते है , एवं उन सिध्दांतों पर चलकर जीवन को श्रेष्ठता की प्राप्ति होती है । धर्म … Read more »