चल पड़े हैं कौनसे पथ [Chal Pade Hain Kaunse Path] (गजल)

चल  पड़े  है  कौन  से  पथ Chal Pade Hain Kaunse Path मापनी/बहर : 2122 2122 2122 212 चल  पड़े  है  कौन  से  पथ, भूल  हम  जीवन  चले जानते   इसको   सभी  पर, संग  में    बेमन   चले स्वप्न बुनते नित  नये हम  हो सुखद  संसार  इक पर   निगाहों   में   बसा  के   ढ… Read more »

उत्कर्ष छन्द : रोला, वर्षा

छन्द : रोला ----------------- लिये हरित परिधान,धरा पर  पावस आयी । शीतल चली  बयार,उष्णता   है   शरमायी । भरे  कूप अरु  कुंड,नीर सरिता  भर लायी । जन,जीवन,खुशहाल,ऋतु वर्षा मन भायी ।। - नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”    श्रोत्रिय निवास बयाना Http://NKUtkarsh.Blogspot.c… Read more »

गर्व से कहो हम ब्राह्मण हैं

जिंदगी के अंत तक,कष्ट के ज्वलन्त तक, रोम रोम मेरा परशुराम गीत गयेगा । विप्र अनुराग मेरा,विप्र मन राग मान, विप्र वंदना में मन,डूबता ही जायेगा । विप्र परिवार मेरा,विप्र व्यवहार मेरा, विप्र हूँ ये सोचकर,अरि घबरायेगा । जिंदगी,उत्कर्ष यह,विप्र कुल गौरव की, जिस दिन मा… Read more »

देशहित में आह्वान (मुक्तक )

बहुत     हुआ   मोदीजी   लेकिन,अब  बातों में सार नही । खामोशी    को     साधे    रहना,वीरों    का    श्रृंगार नही । मारो   इनको    या   दुत्कारो,ये    लातों    के   भूत    रहे । बहुत कर लिया अब तक लेकिन,अब कुत्तों से प्यार नही । Read more »

प्रेम गीत - Romantic Song

Romantic Hindi Songs मैं प्रेम डगर राही, रहूँ प्रेम के गांव मे मिट जाए तपन सभी, जुल्फों की छाँव में देखा जब से तुझको, बहका फिर से मन है आई रुत मस्तानी खिलता सा यौवन है मिट जाये तपन मेरी, जुल्फों की छांव में पहना दूँ पैजनिया, मैं … Read more »

पंचमगति छन्द सविधान : panchamgati chhand

पंचमगति छन्द Panchamgati Chhand [भगण जगण गुरु=7 वर्ण] राम    जप    राम रे   राम      प्रभु नाम रे भोर   यह, जान लो शेष   यह  मान  लो चेत    कर    मीत रे हार     मत, जीत रे सत्य यह सृष्टि का भेद   पर दृष्टि का राम   गुण  खान है … Read more »

बचपन : मत्तग्यन्द/मालती सवैया

!! बचपन !! [ मत्तग्यन्द/मालती सवैया ] (प्रथम) बालक थे जब मौज रही,मन  चाह  रही  वह पाय रहे थे । खेल लुका छिप खेल रहे,मनमीत   नये   हरषाय  रहे  थे । चोट  नही  तन  पे  मन पे,उस वक़्त खड़े मुस्काय रहे थे । रोक  रहो  कब कौन हमें,सब आपहि प्रीत लुटाय रहे थे । (द… Read more »

उत्कर्ष दोहावली

उत्कर्ष  दोहावली राधा  जपती  कृष्ण  को, कृष्ण  राधिका  नाम प्रीत  निराली  जग   कहे, रही   प्रीत  निष्काम  राम   नाम   ही   प्रीत  है, राम      नाम वैराग राम   किरण  है  भोर की, रे मानस मन जाग मन की मन में राखि ले,जब तक बने न काम निज कर्मन पर ध्यान… Read more »

GST : Goods Services Tax / वस्तु एवं सेवा कर

छंद : चौपाई + दोहा ---------------------------- नया   टैक्स  है   आने   वाला । बन्द   करे  गड़बड़   घोटाला ।। क़िस्त टैक्स की जमा कराओ । उचित समय पर इनपुट पाओ ।। दस  तारीख  रही  आमद  की । पन्द्रह  कर   दीनी  जामद की ।। जामद आमद  स्वयं  मिलाओ । चोरी  करो  न  चोर  … Read more »

झूठ : मनहरण कवित

विधा : मनहरण कवित छंद झूठ बोल छल रहे,झूठ से ही चल रहे, झूठ की इस झूठ को,दिल से निकालिए । झूठे रिश्ते झूठा जग,झूठन ही यहाँ सग, झूठे इस प्रपंच में,न खुद को डालिए । भरी यहाँ मोह माया,संभल न मन पाया, भ्रम से निकाल अब,मन को संभालिए । तारना है खुद को तो नेक राह … Read more »