दैनिक दोहे : 1

नेता का नहि धर्म है , नहि    कोई   ईमान । घोटालो के   संग   ये , करें झूठ का पान ।।    फ़िल्मी   परदों    पर   बसे , बनकर सिध्द महान । बना   वीडियो ट्वीट कर , बांटे   अगणित   ज्ञान ।।      बात कहूँ में लाख की , अब तो खुल … Read more »

मेरा ख्वाब : (वीर/आल्हा)

नमन   करूँ   मैं   माँ   शारद को , करना माते सदा सहाय । लिखूँ ख्वाब में हाथ कलम ले , जो   मेरे   मन   को हर्षाय । -------------------------------------------- सरकारी    मैं    करूँ    नौकरी , बन अफसर जो ऑफिस जाय । लटके है जो काम अभी… Read more »

मेरी जिंदगी मझधार में है....

मेरी जिंदगी मझदार में है , अब कैसे पार   उतारू .... सोचता पल पल यही में , कैसे खुद को निकालूँ .... वक़्त भी कम है पड़ा अब , कौन वो जिसे पुकारू .... मेरी जिंदगी मझदार में ........... २ यहाँ वहां सब अपने लगते , झूठा मन… Read more »

श्री शास्त्री जी पर आधारित दोहे

===================== दो अक्टूबर उन्नीस की ,             थी चौथी जब साल । शारद   घर    पैदा    हुये ,             वीर   बहादुर , लाल ।। ===================== शहर उत्तर प्रदेश में ,         जनपद   मुगल   सराय । तात शारदा , मात वो … Read more »

सार छंद सविधान [saar chhand]

सार छंद  सार छंद   विधान  :  कुल 28 मात्रा, 16/12 पर यति, अंत में दो गुरु या 22,  कुल   चार    चरण,   [ क्रमागत दो - दो चरण तुकांत ] [1] मोह   पाश      मे   फँसकर मैंने ,  सारो     जन्म     गवायो मिलो   नही     संतोष   दिनहु में ,  सोवत   चैन     … Read more »