सार छंद 

सार छंद  विधान : 

कुल 28 मात्रा, 16/12 पर यति, अंत में दो गुरु या 22, 
कुल   चार    चरण,   [ क्रमागत दो - दो चरण तुकांत ]

[1]

मोह  पाश    मे  फँसकर मैंनेसारो   जन्म   गवायो
मिलो  नही   संतोष  दिनहु मेंसोवत  चैन    आयो
भूख प्यास  सब भूल  गयो मैतन    पीड़ा  बिसरायो
सब  धन धूरि  भयो  मेरो जबमन   संतोष   समायो

saar chhand vidhan

सार छंद  विधान

[2]

मोर मुकुट सिर कानन झुमकागल मुतियन की माला
अधर   गुलाबी  माथे   टीकारूप   अनूप   निराला
पुष्प  एक मुरली  दूजे   करधारे  यशुमति   लाला
केसरिया परिधान  पहन   केबैठे      है   गोपाला

Saar-Chhand-utkarsh kavitawali

सार छंद  विधान

नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष"
+91 84 4008-4006


1. Mahashringar chhand 2. Alha veer chhand 3. Tantak Chhand