हरिपद छंद हरिपद छंद विधान : कुल 27 मात्रायें, चार चरण दो पंक्तियाँ समतुकांत, अंत में गुरु लघु आवश्यक उदाहरण :- आधार छंद : हरिपद सोलह ग्यारह पर लिखने हैं, चार चरण दो बंद चौपाई दोहा का मिश्रण, है यह हरिपद छंद सत्त… Read more »
हरिपद छंद हरिपद छंद विधान : कुल 27 मात्रायें, चार चरण दो पंक्तियाँ समतुकांत, अंत में गुरु लघु आवश्यक उदाहरण :- आधार छंद : हरिपद सोलह ग्यारह पर लिखने हैं, चार चरण दो बंद चौपाई दोहा का मिश्रण, है यह हरिपद छंद सत्त… Read more »
दोहा छंद के नियम और उदाहरण यह अर्द्ध सममात्रिक छंद है । इसके चार चरण होते है । विषम चरणों अर्थात् प्रथम व तृतीय का मात्रा भार 13 होता है व सम चरणों अर्थात् द्वितीय व चतुर्थ का मात्रा भार ग्यारह होता है । दोहा छंद का आरंभ जगण से करने पर लय दोष उत्पन्न होता है इसलि… Read more »
उपजाति सवैया विधान : उपजाति सवैया क्रमशः दो सवैया का योग है , अथवा मिश्रित रूप है । जैसे इस सवैया में क्रमशः मत्तग्यन्द सवैया और सुंदरी सवैया का समावेश है । ताप परे नित तेज लग्यौ अब, फागुन ग्रीष्म ऋतू भर आईं मेल मिलाप करें ऋतु दो, बचकेउ नव… Read more »
उपेंद्रवज्रा छंद UPENDRAVJRA CHHAND [जतजगुगु] छंद विधान : क्रमशः जगण, तगण, जगण, दो गुरु न साधना, वंदन, मोहि आवै तुम्हें रिझाऊँ, विधि को बतावै सुवासिनी सिद्ध सुकाज कीजै विवेक औ बुध्दि “नवीन” दीजै - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष उपेन्… Read more »
पदपादाकुलक छंद का विधान एवं उदहारण पदपादाकुलक छंद {PADPADAKULAK CHHAND} पदपादाकुलक छंद विधान : – पदपादाकुलक छंद के चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में १६ मात्रायें होती हैं , छंद के आरम्भ में एक गुरु अथवा दो लघु (लघु-लघु) अनिवार्य होता है किन्तु त्रिक… Read more »
सुखेलक छंद : SUKHELAK CHHAND सुखेलक छंद विधान :- नगण,जगण,भगण,जगण,रगण, 7/8= 15 वर्ण जग सब भूल के,अब बुलाय राधिका सुध बुध खो बनी,सजन देख साधिका दरस करा मुझे,अब सुजान साँवरे हृदय जला रही,जगत मोह छाँव रे Sukhelak Chhnd Ka Vidhan Or Udahar… Read more »
दिग्पाल छन्द : Digpal Chhand यह मात्रिक छन्द है। यह २४ मात्रिक छन्द है । चार चरण, १२/१२ मात्रा पर यति, चरणान्त गुरु दो - दो पंक्ति समतुकान्त, इस छन्द की मापनी निम्न है- २२१,२१२२,२२१,२१२२ Example : उदाहरण Digpal Chhand Ka Vidhan Or Ud… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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