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सार छंद सविधान [saar chhand]

सार छंद  सार छंद   विधान  :  कुल 28 मात्रा, 16/12 पर यति, अंत में दो गुरु या 22,  कुल   चार    चरण,   [ क्रमागत दो - दो चरण तुकांत ] [1] मोह   पाश      मे   फँसकर मैंने ,  सारो     जन्म     गवायो मिलो   नही     संतोष   दिनहु में ,  सोवत   चैन     … Read more »

उत्कर्ष सवैया : 2

मत्तग्यन्द सवैया चोर  बसे  चहुँ ओर  बसे,पर  नाम  करें  रचना  कर चोरी । सूरत से  वह  साधक  है,पहचान  परे  नहि   सूरत  भोरी । बात बने लिखते वह तो,मति मारि गयी  बिनकीउ निगोरी । कोशिश ते तर जामत है,मति कोउ उन्हें यह दे फिर थोरी ।    नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष… Read more »

उत्कर्ष सवैया : 1

मत्तग्यन्द सवैया -------------------- (1) चाँद  समान  लगे  मुखड़ा,तन  रंग  लगे  समझो  वह  सोना रूप  लिये  वह  रूपवती,कर  डारि  गयी  हमपे  फिर  टोना स्वप्न    बुने    हमने  बहुतै,हर  स्वप्न लगे  तब  मित्र  सलोना बाद  नही  अब  टेम  उसे,यह  प्यार  रहा  बन एक ख… Read more »

चौपाइयां छंद [chaupaiyan chhand]

देव  दैत्य  स्तुति  करें,कोउ  न  पायो पार नमन करूँ कमलापते,तुम जीवन के सार ------------------ छंद : चौपाइयां Vidhan : 10-8-12=30 ------------------ हे केशव रसिया,सब मन बसिया,सुन लो अर्ज हमारी विपदा   ने  घेरा,डाला  डेरा,तुम  बिन  जाय  न … Read more »