जिन्हें हम पलक पे बिठाने लगे हैं

बहर : 122-122-122-122   ( मुत़कारिब मसम्मन सालिम) जिन्हें  हम  पलक  पे   बिठाने लगे हैं उन्हें   ठीक   दिल  मे  बसाने   लगे हैं कभी  सामने   से  अगर    हैं   गुजरते बना    घूँघटा,  वो     सताने     लगे हैं अभी  तक  हुआ क्यों न दीदार … Read more »

अब तो राह सुझाओ सुजान

Follow my blog with Bloglovin डगर   कौनसी   चल   के  आया पथ       की        ना     पहचान कि अब तो राह सुझाओ सुजान चहुँ    दिशि   ही  माया  का साया माया      ने   मन   को   भटकाया रहा         न        ज्ञान      गुमान कि अब तो राह सुझाओ सुजान-२ उर  … Read more »

मोय भयो चाम ते मोह (पद)

कान्हा रे मोय भयो चाम ते मोह कौन  जतन कर  टारूं  हिय ते, चिप्क्यौ   जैसें   गोह आत्मश्लाघा  श्रुति   कूँ  प्यारी, और  सुनावें  ना  टोह दृग  कूँ  प्यारी  रूप    लावणी, पटक्यौ भव की खोह हाथन  कूँ  प्यारौ   रुपया  धन, देखत  नित  ही  जोह उदर  कू… Read more »

Loneliness Songs

जग की  कोरी  रीत  लिखेंगे तन्हाई   का   गीत   लिखेंगे माया  की     है   हाहाकारी स्वार्थ  भरी  सब   नातेदारी हारी   कैसे   जीत   लिखेंगे तन्हाई   का   गीत  लिखेंगे जब  से   देखा अपना माना कौन  सगा   है क्या  बेगाना बिछड़ा   कैसे   मीत लिखेंगे तन्… Read more »

समय" किसके पास है ?

" समय" किसके पास है ? खुद ही खुद को क्यों औरों से खास है ये    समय       है ,  समय      किसके    पास है लिक्खा       है   मैंने   भावों   की   ले स्याही खुशियों   से   मातम , मातम     से तबाही शब्द     वही हैं , तो   क्या … Read more »

सत्य सनातन सदा ही शिव है

सत्य सनातन सदा ही शिव है सत्य सनातन सदा ही शिव है पावन श्रावण  मास लगौ, धर ध्यान उपास  महाशिव पूजौ काल यही इक कालन के, इनसौ  कब  कौन  कहाँ पर दूजौ हो करुणा हिय भाव दया, तब नाथ प्रसन्न नहीं फिर जूझौ सार यही  सब  ग्रंथन कौ, अब  और  नवीन  नहीं तुम बूझौ … Read more »

Krishna Bhajan कृष्ण भजन

कृष्ण भजन  Krishna Bhajan उनसों  का  प्रीत  रखें, जिन प्रीत  काम की करनी तो  उनते,करें, मुक्ति भव  धाम की घर ते  चले जो आज, मिलवै  भगवान  ते उनकूं  न   ढूँढे   मिले, साँची     ईमान   ते कान्हा कूँ सब जग खोजत है, कान्हा   कहूँ   न  पावैगौ का… Read more »

Top Romatic Shayari-Muktak

हिंदी पत्रिकाओं, एवं हिंदी साहित्यिक संस्थाओं को सहायतार्थ यथोचित अनुदान दें। संस्था अथवा पत्रिका का नाम अनुदान देते समय टिप्पणी में उल्लेखित करें। अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें।  ☎ +919549899145 MUKTAK चलाये   बाण    नैनों   के, बना  उनका  निशाना दिल  चढ़ी … Read more »

Muktak : मुक्तक

जीव  के  कर्म  पर  जीव  का   अवतरण जीव   ऊपर    चढ़ा    मृत्तिका   आवरण कर्म    ऐसे    करो   मानवी     तन  मिले सद्गुणों  का  करो, सबहि  अब अनुशरण Muktak : Utkarsh Kavitawali हिंदी पत्रिकाओं, एवं हिंदी साहित्यिक संस्थाओं को सहायतार्थ यथोचित अनुदान दें। … Read more »

गर्मी पर कुण्डलिया

गरमी गरमी   ते  गरमी  मिली, गरम  रह्यो फिर आज गरमी  ते  गरमी   घटी, कैसौ     गरम    रिवाज कैसौ    गरम    रिवाज, ठंड     पे   बहुतै  भारी  हुये     अधमरे   आज, गरमी    है   अत्याचारी  सुनौ   सखा   उत्कर्ष, रखौ   रसना   में  नरमी  वरना      उल्टे     हाथ, प… Read more »