जग की कोरी रीत लिखेंगे
तन्हाई का गीत लिखेंगे
माया की है हाहाकारी
स्वार्थ भरी सब नातेदारी
हारी कैसे जीत लिखेंगे
तन्हाई का गीत लिखेंगे
जब से देखा अपना माना
कौन सगा है क्या बेगाना
बिछड़ा कैसे मीत लिखेंगे
तन्हाई का गीत लिखेंगे
कदम कदम पर धोखा होता
काश किसी ने रोका होता
जीवन किया पलीत लिखेंगे
तन्हाई का गीत लिखेंगे
रात अँधेरी काली - काली
दीप जले, तो मने दीवाली
डर से डर संभीत लिखेंगे
तन्हाई का गीत लिखेंगे
चाह नहीं ये मरने पाई
पिया हलाहल, और दवाई
अपना नवीन नीत लिखेंगे
तन्हाई का गीत लिखेंगे
- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
श्रोत्रिय निवास बयाना
2 Comments
Atuly geet
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद प्रियवर
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