कान्हा रे मोय भयो चाम ते मोह
कौन जतन कर टारूं हिय ते, चिप्क्यौ जैसें गोह
आत्मश्लाघा श्रुति कूँ प्यारी, और सुनावें ना टोह
दृग कूँ प्यारी रूप लावणी, पटक्यौ भव की खोह
हाथन कूँ प्यारौ रुपया धन, देखत नित ही जोह
उदर कूँ प्यारौ उदर उतारौ, रसना रस आरोह
पामन में जो पामन प्यारौ, कैसौ ऊहापोह
तजत व्याधि उत्कर्ष चैन कब, भारी विकट बिछोह
तो बिन मेरौ कौन संगाती, रस हरि में रे डुबोह
4 Comments
👌👌👌सुंदर🙏🙏🙏नमन
ReplyDeletesaadar aabhar
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