रट लै रट लै हरी कौ नाम

रट  लै  रट लै हरी कौ नाम रट  लै  रट लै हरी कौ नाम, प्राणी  भव  तर  जायेगौ रे प्राणी  भव   तर  जायेगो, तेरो जनम सुधर जायेगौ रट लै रट लै हरि कौ...... बड़े  जतन  तन  मानुस  पायौ मोहपाश  में    समय   गँवायौ कोउ न  आवै  काम अंत में, रे  जब   ऊपर  जायेगौ … Read more »

उल्लाला छंद [Ullala Chhand]

उल्लाला छन्द उल्लाला छन्द   विधान -   उल्लाला छंद  सममात्रिक छंद है, इस छंद के दो भेद होते है।  प्रथम भेद  :- इस के प्रत्येक चरण में १३ - १३ मात्रायें (कुल २६ मात्रायें)  होती हैं। प्रत्येक चरण की ग्यारहवीं मात्रा लघु होती है ।  द्वितीय भेद :- इसके भी चार चरण होत… Read more »

विश्वगुरू भारत [ India ]

विश्व गुरु भारत अपना महान   विश्व गुरु भारत अपना महान  नही  कोई दूजा इसके समान  नही कोई दूजा.....नही कोई... विश्व गुरु............नही कोई... सिक्ख ईसाई हिन्दू मुस्लिम, सब  मिलजुल  कर  रहते  है सुख दुख अपना आपस बांटे, साथ  सभी  का,  हम देते  ह… Read more »

गीतिका : हिंदी की जय बोलो [geetika]

हिंदी   की    जय   बोलो  हिंदी, भाषा  बड़ी सुहानी है हिंदी   गौरव  हिन्द  देश  का, हिंदी हरि की वाणी है है  मिठास  हिंदी भाषा मे, पुरखो का यह  मान रही वीरों का भुजबल थी ये ही, अपना  स्वाभिमान  रही   मात  भारती  के  ललाट पे, तेज   लिये  जो  बिंदी है और… Read more »

सवैया : काव्यगोष्ठी

मत्तगयंद सवैया :    भगण×7+गुरु+गुरु   सूरकुटी   पर  भीर भयी, कवि मित्र करें मिल कें कविताई । छन्दन गीतन  प्रीत झरे, उर  भीतर  बेसुधि  प्रीत  जगाई । भाग   बड़े   जब सूरकृपा, चल  सूरकुटी  बृज  आँगन पाई । देख   छटा  बृज पावन की,उर  आज  नवीन गयौ हरसाई । ✍… Read more »

दोहे [doha]

पालीथिन    से   मर रही, गायें  रोज़  हज़ार । बन्द करो उपयोग अब, नही जीव को मार ।। वर्षो  तक    गलता नही,नही नष्ट जो होय । दूषित पर्यावरण करे,नाम पॉलिथिन सोय ।। कपडे   का थैला रखो,छोड़ पॉलिथिन आज । वर्षो   तक गलता नही,दूषित करे समाज ।। मांग   भरी … Read more »

आराधना : Aaradhana

आराधना : Aaradhana  दोहा• प्रातः उठ वंदन करूँ,चरण नवाऊँ शीश । यशोगान तेरा करूँ, इतना दो आशीष ।। सुन लो मेरी  अरज   भवानी ।  तेरी   महिमा   जग  ने   जानी ।। दूर करो   अज्ञान  का  साया ।  माता   तेरीे    दर    पे     आया ।। दोहा• करता  में   आराधना… Read more »

नारी / Naari (गजल)

नारी:  गजल  [ Naari : Gazal ]  बह्र : 212-212-212-212  भूख उसको भले पहले'खाती नहीं दुःख हों  लाख ही पर जताती नहीं Bhookh  Usko Bhale Pehle  Khaati nahi Dukh   Hon  Lakh   Hi   Per  Jatati nahi नित्य  जल्दी जगे  काम  सारा करे बाद  भी  … Read more »

छंद : मंदाक्रांता छंद - Mandakranta Chhand

मंदाक्रांता छंद --------------------    [ विधान : मगण,भगण,नगण,तगण,तगण,गुरु,गुरु]   ____________________________ मर्यादा  मारग तज,चले लोग वो चाल देखो । माया के, मोहवश उनके  जो रहे हाल देखो । हैं  वो निर्भीक,सभय नही,ईश से घाल देखो । होना  है अंत,समय बढ़ा … Read more »

छंद : मंदाक्रांता [mandakranta chhand]

छंद : मंदाक्रांता  -------------------- मंदाक्रांता छंद परिचय :-   यह छंद वार्णिक छंद है, वार्णिक छंदो में मंदाक्रांता लोकप्रिय छंद रहा है।  इसके प्रत्येक चरण में क्रमशः मगण  भगण, नगण, तगण, तगण,गु,गु, के योग से 17 वर्ण होते हैं।  जिसमे  क्रमशः 10 एवं 7 वर्ण… Read more »

मुक्तक : हिन्दू,हिंदी,हिंदुस्तान

मुक्तक : हिन्दू,हिंदी,हिंदुस्तान जय - जयकार  करेगी  दुनिया,हिंद   वीर  मतबारों की अडिग हिमालय सी हिम्मत है,आदत  नही  सहारो की ठान   लिया   हमने  हिंदी  को,शीर्षस्थ      पहुंचाना  है जग   में   केवल  हिंदी   होगी,हिंदी राज   दुलारों   की  Muktak Read more »