छंद : मंदाक्रांता
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( मगण भगण नगण तगण तगण गु गु )
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माँ वागीशा, विनय करता,आप ही हो सहारा
विद्या दात्री,मति विमल दो,हो न ये अंधियारा
शिक्षा की माँ अलख द्युति से,ज्ञान गंगा बहाऊँ
ईर्ष्या, माया तज जगत में नाम उत्कर्ष पाऊँ
- - - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
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छंद : मंदाक्रांता |
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