JAI VIJAY-MUMBAI SHESHAMRUT- HATHRAS JAI VIJAY-MUMBAI VARTMAN ANKUR - DELHI RAJASTHAN PATRIKA-BAYANA DAINIK POORVODAY- GUVAHATI Read more »
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महाशिव रात्रि आई,सब शिवालय सजे है, कालो के काल,महाकाल कैलाश चढे है, घूँट लो भंगिया,बाबा नांदिया,कहने लगे है इस पावन पर्व के रस में सब बहने लगे है, महाशिवरात्रि के पर्व की अग्रिम शुभकामनाये नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” Read more »
हिंदी और मेरे विचार [Hindi Kya Hai] हिंदी और मेरे विचार हिंदी भाषा यह वो भाषा है जो हिन्दुओ के द्वारा बोलचाल और विचारों के आदान प्रदान के लिए सहज और वैज्ञानिक मानदंडों के आधार पर विकसित की गयी थी,यह सम्पूर्ण हिंदुस्तान की भाषा रही है । सनातन काल में संस्कृ… Read more »
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: भीग रही है पलके मेरी सजन तेरी याद में, बैठी हूँ तन्हा अकेली तेरे इंतज़ार में, तू दूर गया तो तेरे में पास आ गयी- 2 क्या हाल है हमारा देख तेरे प्यार में, क्या हाल है हमरा सजन तेरे प्यार में •••••••••••••••••••••••… Read more »
एक सुन्दर सी नार,वाको रूपहु निखार । जाके लाल लाल होट, नयन कटारि है ।। बोले हँस हँस बोल,मन मेरो जाय डोल । है गोल गोल कपोल,सूरत की प्यारि है ।। मनभावन है बोली,और एकदम भोली । लागे अप्सरा हो जैसे,वो सबसे न्यारि है ।। लगा नैनो में कजरा,सज़ा बालों में गजरा ।… Read more »
🔸🔹होली🔹🔸 बज रहे चंग, भर मन में उमंग, नर नारी संग संग, देखो फाग आज खेल रहे, कान्हा डार रहो रंग, ले के ग्वाल बाल संग, वो तो करे हुड़दंग, देखो एक दूजे पे उड़ेल रहे, डारो राधाहु पे रंग, रंग दीनो अंग अंग, देख बृजवासी भये दंग, ऐसे जुगल को सदा हु मेल रहे । बरसे… Read more »
Vivah Vidai Geet : विदाई गीत लाडी आई सासरिये ,भर नैनं में आस चाहत बनू सबकी में,मेरा प्रेमी हो भरतार लाडी आई सासारिये ,ओ भर नैनं ...... ओ लाडी आई सासारिये...... मईया छोड़ी मैंने ,अब बाबुल भी छोड़ा, पिया के घर से अब नाता जोड़ा, में आई छोड़ छाड़ ,स… Read more »
!! सच्चा प्रेम [True Love] !! पिता की डाँट फटकार को सबहि उनकी नाराजगी समझते है,उनका गुस्सा समझते है, पर एक पिता का हृदय समझ से परे होता है,वह एक नारियल की भांति होता है, बाहर से सख्त और अंदर से कोमल, यह बात पहले मेरी समझ से भी बाहर थी,परंतु जब यथार्थ से परिच… Read more »
शोकहर/ सुभांगी छंद [shokhar subhangi chhand] विधान : - [8,8,8,6 मात्राओं पर यति,पहली दूसरी यति अंत तुकान्त,चार चरण समतुकांत] सुनो दिवानी,राधा रानी,बृषभानु लली, रख प्रीती । क्षोभ सतावे,चैन न आवे,दिल ही जाने,जो बीती । … Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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