🔸🔹होली🔹🔸

बज रहे चंग,
भर मन में उमंग,
नर नारी संग संग,
देखो फाग आज खेल रहे,

कान्हा डार रहो रंग,
ले के ग्वाल बाल संग,
वो तो करे हुड़दंग,
देखो एक दूजे पे उड़ेल रहे,

डारो राधाहु पे रंग,
रंग दीनो अंग अंग,
देख बृजवासी भये दंग,
ऐसे जुगल को सदा हु मेल रहे ।

बरसे पहले से ही रंग,
कोउ में नाय अब ढंग,
ये  देख नवीन है दंग,
कैसे होरी को है झेल रहे ।।

✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
  +9184 4008-4006