छंद परिचय लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैंसभी दिखाएं

उल्लाला छंद [Ullala Chhand]

उल्लाला छन्द उल्लाला छन्द   विधान -   उल्लाला छंद  सममात्रिक छंद है, इस छंद के दो भेद होते है।  प्रथम भेद  :- इस के प्रत्येक चरण में १३ - १३ मात्रायें (कुल २६ मात्रायें)  होती हैं। प्रत्येक चरण की ग्यारहवीं मात्रा लघु होती है ।  द्वितीय भेद :- इसके भी चार चरण होत… Read more »

छंद : मंदाक्रांता छंद - Mandakranta Chhand

मंदाक्रांता छंद --------------------    [ विधान : मगण,भगण,नगण,तगण,तगण,गुरु,गुरु]   ____________________________ मर्यादा  मारग तज,चले लोग वो चाल देखो । माया के, मोहवश उनके  जो रहे हाल देखो । हैं  वो निर्भीक,सभय नही,ईश से घाल देखो । होना  है अंत,समय बढ़ा … Read more »

छंद : मंदाक्रांता [mandakranta chhand]

छंद : मंदाक्रांता  -------------------- मंदाक्रांता छंद परिचय :-   यह छंद वार्णिक छंद है, वार्णिक छंदो में मंदाक्रांता लोकप्रिय छंद रहा है।  इसके प्रत्येक चरण में क्रमशः मगण  भगण, नगण, तगण, तगण,गु,गु, के योग से 17 वर्ण होते हैं।  जिसमे  क्रमशः 10 एवं 7 वर्ण… Read more »

महाश्रृंगार छंद [Mahashringar chhand]

महाश्रृंगार छंद  [Mahashringar chhand]  विधान : यह सम मात्रिक छन्द है।इसके प्रत्येक चरण में 16 ,16 मात्राएँ होती है ।दूसरे व चौथे चरण में सम तुकान्त रहता है। चरणान्त दीर्घ लघु से। आदि में त्रिकल द्विकल(3,2) व अन्त में द्विकल त्रिकल(2,3) सुनो ! बृसभानु लली… Read more »

विधा : कहमुक़री सविधान (kehmukariyan]

विधान : कहमुक़री चार चरणों में लिखी जाती है,जिसके प्रत्येक चरण का मात्रा भार 15-15 अथवा 16 -16 होता है । सुबह शाम   मैं   उसे  रिझाऊँ, नैन पलक पर  जिसे  बिठाऊँ बिन  उसके   दिल   है बेहाल, क्यों सखि साजन?ना गोपाल घड़ी - घड़ी  मैं  राह  निहारूँ सुबह शाम नित उसे पुकारूँ… Read more »

उत्कर्ष छन्द : रोला, वर्षा

छन्द : रोला ----------------- लिये हरित परिधान,धरा पर  पावस आयी । शीतल चली  बयार,उष्णता   है   शरमायी । भरे  कूप अरु  कुंड,नीर सरिता  भर लायी । जन,जीवन,खुशहाल,ऋतु वर्षा मन भायी ।। - नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”    श्रोत्रिय निवास बयाना Http://NKUtkarsh.Blogspot.c… Read more »

पंचमगति छन्द सविधान : panchamgati chhand

पंचमगति छन्द Panchamgati Chhand [भगण जगण गुरु=7 वर्ण] राम    जप    राम रे   राम      प्रभु नाम रे भोर   यह, जान लो शेष   यह  मान  लो चेत    कर    मीत रे हार     मत, जीत रे सत्य यह सृष्टि का भेद   पर दृष्टि का राम   गुण  खान है … Read more »