कुंडलियाँ Kundaliyan Chhand 【सोमवार】 देवो के वह देव है, भोले शंकर नाम ध्यान धरो नित नेम से, अंत मिले हरि धाम अंत मिले हरिधाम, पार भव के हो जाये मनचाहा सब होय, साथ सुख समृद्धि पाये कहे भक्त उत्कर्ष, ना… Read more »
कुंडलियाँ Kundaliyan Chhand 【सोमवार】 देवो के वह देव है, भोले शंकर नाम ध्यान धरो नित नेम से, अंत मिले हरि धाम अंत मिले हरिधाम, पार भव के हो जाये मनचाहा सब होय, साथ सुख समृद्धि पाये कहे भक्त उत्कर्ष, ना… Read more »
उड़ियाना छंद Udiyana Or Kundal Chhand उड़ियाना छंद विधान : 12/10 यति पहले व बाद में त्रिकल अंत मे एक गुरु जीवन का ध्येय एक, राम नाम जपना मिले हमें विष्णुलोक,यही सत्य सपना कौन यहाँ मित्र,सगा, बंधु, संबंध है माया का यही जाल, मोह आबंध है… Read more »
कहमुकरी छंद कहमुकरी छंद विधान : प्रतिचरण 15 अथवा 16 - 16 मात्राऐं, क्रमशः दो दो चरण समतुकांत वह भविष्य का है निर्माता पथभ्रष्टी को पथ पे लाता कर्म मार्ग का वही निरीक्षक क्या सखि ईश्वर ? ना सखि शिक्षक … Read more »
बेरोजगारी : Unemployment आज अखबार में विज्ञापन छपा था, विज्ञापन के साथ ही पूछताछ के एक सम्पर्क अंक (नम्बर) भी,नवनीत सुबह सुबह चाय की चुस्की ले अखबार पढ़ रहा, अचानक उसकी निगाह उस विज्ञापन पर गयी । चाय का कप टेबल पर रख कर दोनों हाथों में अखबार को ले विज्ञापन पढ़ने लगा … Read more »
महाभुजंगप्रयात [Mahabhujangprayat] विधान : महाभुजंगप्रयात छंद आठ यगण से है बना, बारह पर यति सोय । भुजंगप्रयात से दोगुना, सदा छंद यह होय ।। ------------------------------------- लगी है झरी धार पैनी परी हैं, लिये नीर आई… Read more »
घनाक्षरियों के प्रकार एवं विधान ____________________________________________ 1:- मनहरण घनाक्षरी : कुल 31 वर्ण। 8-8-8-7 या 16-15 पर यति। अंत में गुरु वर्ण। ____________________________________________ 2:- रूप घनाक्षरी : कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 या 16-16 प… Read more »
रट लै रट लै हरी कौ नाम रट लै रट लै हरी कौ नाम, प्राणी भव तर जायेगौ रे प्राणी भव तर जायेगो, तेरो जनम सुधर जायेगौ रट लै रट लै हरि कौ...... बड़े जतन तन मानुस पायौ मोहपाश में समय गँवायौ कोउ न आवै काम अंत में, रे जब ऊपर जायेगौ … Read more »
उल्लाला छन्द उल्लाला छन्द विधान - उल्लाला छंद सममात्रिक छंद है, इस छंद के दो भेद होते है। प्रथम भेद :- इस के प्रत्येक चरण में १३ - १३ मात्रायें (कुल २६ मात्रायें) होती हैं। प्रत्येक चरण की ग्यारहवीं मात्रा लघु होती है । द्वितीय भेद :- इसके भी चार चरण होत… Read more »
विश्व गुरु भारत अपना महान विश्व गुरु भारत अपना महान नही कोई दूजा इसके समान नही कोई दूजा.....नही कोई... विश्व गुरु............नही कोई... सिक्ख ईसाई हिन्दू मुस्लिम, सब मिलजुल कर रहते है सुख दुख अपना आपस बांटे, साथ सभी का, हम देते ह… Read more »
हिंदी की जय बोलो हिंदी, भाषा बड़ी सुहानी है हिंदी गौरव हिन्द देश का, हिंदी हरि की वाणी है है मिठास हिंदी भाषा मे, पुरखो का यह मान रही वीरों का भुजबल थी ये ही, अपना स्वाभिमान रही मात भारती के ललाट पे, तेज लिये जो बिंदी है और… Read more »
मत्तगयंद सवैया : भगण×7+गुरु+गुरु सूरकुटी पर भीर भयी, कवि मित्र करें मिल कें कविताई । छन्दन गीतन प्रीत झरे, उर भीतर बेसुधि प्रीत जगाई । भाग बड़े जब सूरकृपा, चल सूरकुटी बृज आँगन पाई । देख छटा बृज पावन की,उर आज नवीन गयौ हरसाई । ✍… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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