अपनी किस्मत आप ही , लिख सकते श्रीमान । परिश्रम से सम्भव यही , भाग्य विधाता जान ।। कमला , गौरी , शारदे , जगदम्बा के रूप । महिमा अथाह है मात की , कहते ऋषि मुनि वेद ।। वेद शास्त्र औ ग्रन्थ का , रावण को था ज्ञान … Read more »
अपनी किस्मत आप ही , लिख सकते श्रीमान । परिश्रम से सम्भव यही , भाग्य विधाता जान ।। कमला , गौरी , शारदे , जगदम्बा के रूप । महिमा अथाह है मात की , कहते ऋषि मुनि वेद ।। वेद शास्त्र औ ग्रन्थ का , रावण को था ज्ञान … Read more »
नेता का नहि धर्म है , नहि कोई ईमान । घोटालो के संग ये , करें झूठ का पान ।। फ़िल्मी परदों पर बसे , बनकर सिध्द महान । बना वीडियो ट्वीट कर , बांटे अगणित ज्ञान ।। बात कहूँ में लाख की , अब तो खुल … Read more »
नमन करूँ मैं माँ शारद को , करना माते सदा सहाय । लिखूँ ख्वाब में हाथ कलम ले , जो मेरे मन को हर्षाय । -------------------------------------------- सरकारी मैं करूँ नौकरी , बन अफसर जो ऑफिस जाय । लटके है जो काम अभी… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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