विधान : कहमुक़री चार चरणों में लिखी जाती है,जिसके प्रत्येक चरण का मात्रा भार 15-15 अथवा 16 -16 होता है । सुबह शाम मैं उसे रिझाऊँ, नैन पलक पर जिसे बिठाऊँ बिन उसके दिल है बेहाल, क्यों सखि साजन?ना गोपाल घड़ी - घड़ी मैं राह निहारूँ सुबह शाम नित उसे पुकारूँ… Read more »
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