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छंद : मत्तग्यन्द सवैया

छंद : मत्तग्यन्द सवैया ======================= (1) चोर बसे  चहुँ ओर  बसे,पर  नाम  करें  रचना  कर  चोरी । सूरत  से   वह   साधक   है,पहचान  परे नहि  सूरत  भोरी । बात बने लिखते वह तो,मति मारि गयी बिनकीउ निगोरी । कोशिश ते तर जामत है,मति कोउ उन्हें यह दे फिर थ… Read more »

राजस्थानी ढोला और उसकी परदेशी प्रियतमा के बीच का वार्तालाप

_राजस्थानी ढोला और उसकी परदेशी प्रियतमा के बीच का वार्तालाप_ साजन तेरे देश की,है कैसी यह रीत । जित देखूँ में झांक कें,उते मिले बस प्रीत ।। सजनी मरुधर देश ये,है वीरो की खान । आपस में मिल जुल रहें,यहाँ राम रहमान ।। साजन तेरे देश के,अलग थलग क्यों रंग ।… Read more »

छन्द : कुण्डलिया

(1) बजरंगी  बाला  सुनो,अर्ज  हमारी आप । सदा साथ  देना प्रभो,हरना  मन संताप ।। हरना  मन संताप,गीत प्रभु के हम गायें । उर  के मिटे विकार,पाप सारे मिट जायें । बने जहाँ के दीप,करें नित बाद उजाला । अर्ज  करे  उत्कर्ष,सुनो  बजरंगी  बाला ।। (2) चोरी करते … Read more »

कुंडलिनी छंद [kundlini chhand]

छन्द : कुंडलिनी विरह  सतावे  पीव जी,लगी  मिलन  की  प्यास | कद आओगे थे लिखो,बीत     रहा     मधुमास || बीत    रहा    मधुमास,चैन  तुम  बिन नहि आवे | तडपू  पल  छिन  पीव,घणी   ये विरह सतावे || - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष Read more »

दुम दार दोहा : ०१

महाशिव रात्रि ---------------- महादेव  को  था मिला,माँ  गौरा  का साथ । फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी,बनी महाशिव रात ।। रात    मंगल    फलदायी । साथ भर खुशियाँ लायी ।। मद ---- मदिरा कंचन कामिनी,और धरा का प्यार । आज जरूरत यह बने,चाहे  अंत  बिगार ।। बात  वो  ही  ना माने । सार इनक… Read more »

दैनिक दोहे : 2

अपनी किस्मत आप ही , लिख  सकते    श्रीमान । परिश्रम से   सम्भव यही , भाग्य   विधाता जान ।। कमला ,   गौरी , शारदे , जगदम्बा    के     रूप । महिमा अथाह है मात की , कहते ऋषि मुनि वेद ।। वेद   शास्त्र   औ ग्रन्थ का , रावण को   था ज्ञान … Read more »

Bharatpur

मेरा शहर लोहागढ़ (भरतपुर) वो शहर भरतपुर (लोहागढ़) है मेरा, जिसका लोहागढ़ अजेय दुर्ग है, वीरता है यहाँ के कण-कण में, रंग भगवा सुर्ख है  … केवलादेव पक्षी विहार, सुजान गंगा,गंगा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर,बिहारी जी, ये शहर की शान है, ये है मेरा शहर भरत… Read more »