छंद : मत्तग्यन्द सवैया ======================= (1) चोर बसे चहुँ ओर बसे,पर नाम करें रचना कर चोरी । सूरत से वह साधक है,पहचान परे नहि सूरत भोरी । बात बने लिखते वह तो,मति मारि गयी बिनकीउ निगोरी । कोशिश ते तर जामत है,मति कोउ उन्हें यह दे फिर थ… Read more »
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