Krishna Bhajan कृष्ण भजन

कृष्ण भजन  Krishna Bhajan उनसों  का  प्रीत  रखें, जिन प्रीत  काम की करनी तो  उनते,करें, मुक्ति भव  धाम की घर ते  चले जो आज, मिलवै  भगवान  ते उनकूं  न   ढूँढे   मिले, साँची     ईमान   ते कान्हा कूँ सब जग खोजत है, कान्हा   कहूँ   न  पावैगौ का… Read more »

Top Romatic Shayari-Muktak

हिंदी पत्रिकाओं, एवं हिंदी साहित्यिक संस्थाओं को सहायतार्थ यथोचित अनुदान दें। संस्था अथवा पत्रिका का नाम अनुदान देते समय टिप्पणी में उल्लेखित करें। अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें।  ☎ +919549899145 MUKTAK चलाये   बाण    नैनों   के, बना  उनका  निशाना दिल  चढ़ी … Read more »

Muktak : मुक्तक

जीव  के  कर्म  पर  जीव  का   अवतरण जीव   ऊपर    चढ़ा    मृत्तिका   आवरण कर्म    ऐसे    करो   मानवी     तन  मिले सद्गुणों  का  करो, सबहि  अब अनुशरण Muktak : Utkarsh Kavitawali हिंदी पत्रिकाओं, एवं हिंदी साहित्यिक संस्थाओं को सहायतार्थ यथोचित अनुदान दें। … Read more »

गर्मी पर कुण्डलिया

गरमी गरमी   ते  गरमी  मिली, गरम  रह्यो फिर आज गरमी  ते  गरमी   घटी, कैसौ     गरम    रिवाज कैसौ    गरम    रिवाज, ठंड     पे   बहुतै  भारी  हुये     अधमरे   आज, गरमी    है   अत्याचारी  सुनौ   सखा   उत्कर्ष, रखौ   रसना   में  नरमी  वरना      उल्टे     हाथ, प… Read more »

प्रेम क्या है ? What Is The Love

किसी ने पूछा प्रेम क्या है ? तब मेरे अंतःकरण से जो जवाब बन पड़ा वह आपके समक्ष रखता हूँ    |  प्रेम आत्मा का राग है, चित्त का अनुराग  है, रिश्तों का भाग है वैरागी का वैराग है, भक्ति  की लाग है, अर्थात  प्रेम आत्मा का वह भाव, वह सम्प्रेषण  का  माध्यम  है, जो  दूर  से  … Read more »

Ghnakshari Chhand

Ghnakshari Chhand   जाति -पाँति धर्म नहीं, काम भेड़ियों की कोई ऐसे  भेड़ियों  को अब, मिल     मार   डालिये सामाजिक  सौहार्द को, कमजोरी  मान   रहे ऐसे शन्तिदूतों को भी, घर   से    निकालिये करते  वे   नित  पाप, क्षमा  दान  देते   आप दानवीर   बनके    यूँ, … Read more »

मनहरण कवित्त [घनाक्षरी छंद] Manharan Kavitt [Ghnakshari Chhand ]

Manharan Kavitt Chhnad  घनाक्षरी छंद : मनहरण कवित्त रावण  के  जैसा कृत्य, करते   है  आज   वही जिनको  है भान नहीं, राम    के    प्रताप  का रोम  रोम  उनका तो, काम,  लोभ  जपता है मोह   परिपूर्ण   होके, नाश     करें    आपका भूल    बैठे  रावण ने, प… Read more »

Chalte Chalte keh Bhi Do [Geet]

गीत  : चलते चलते ------------------- चलते  चलते  कह  भी  दो, तुम  प्यार करते हो-२ हां  प्यार  करते  हो, सजन, तुम  प्यार   करते  हो चलते  चलते  कह   भी दो, तुम   प्यार  करते  हो देखा  जब  से  रूप  तुम्हारा, नजरो  पे छाये  तुम राह  निहारू,  तुम्… Read more »

सुखेलक छंद : SUKHELAK CHHAND

सुखेलक छंद  :  SUKHELAK CHHAND सुखेलक छंद  विधान :-   नगण,जगण,भगण,जगण,रगण,  7/8= 15 वर्ण जग  सब भूल के,अब  बुलाय राधिका सुध बुध खो बनी,सजन देख साधिका दरस  करा   मुझे,अब  सुजान  साँवरे हृदय  जला   रही,जगत  मोह  छाँव रे Sukhelak Chhnd Ka Vidhan Or Udahar… Read more »

चौपई/जयकारी छंद [ Chaupai-jaikari chand ]

चौपई/जयकारी छंद [ Chaupai-jaikari chand ] चौपई या जयकरी (15 मात्रा, अंत में 21 या गाल अनिवार्य, कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत  चौपाई के चरण मे अंतिम एक मात्रा को कम कर देने से चौपई या जयकरी छंद का चरण बन जाता है। स्मरण रखने के लिए संक्षेप में -  चौपाई - अ… Read more »