वज़्न : 121 - 22 - 121 - 22 वफ़ा   कहाँ  है,  कहीं  कसर है नजर   उठाओ, नज़र   अगर है भली  मुहब्बत,  कभी   नहीं थी भला   यही   है,  बचा  भँवर  है चले   कहाँ,  हो,  नसीब  लेकर हो'  अजनबी  ये, उसे  खबर है चुना  उसे, जो,  वफ़ा  न   जाने ख़ता    तुम्हारी,   घुसर  -  पुसर   ह… Read more »