छन्द : मंजुभाषिणी [सगण+जगण+सगण+जगण+गुरु] चल आ गये हम कहाँ,नही  पता अब   राह  केशव  हमे,तुही  बता हम नेह  के  सुमन  है,रहे  खिले उतरे   भवांबुधि   परे,कृपा मिले __________ नवीन   श्रोत्रिय    "उत्कर्ष"  श्रोत्रिय निवास बयाना,राज• manju… Read more »