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श्रृंगारिक दोहे :

उसका   निखरा रूप   था , नागिन     जैसे     बाल । घायल   करती   जा   रही , चल    मतवाली    चाल ।। चन्द्र बदन कटि कामनी , अधर बिम्ब सम लाल । नयन    कटारी    संग   ले , करने     लगी    हलाल ।। जबसे    देखा    है     तुझे , पाया    कहीं    न   चै… Read more »

राजस्थानी ढोला और उसकी परदेशी प्रियतमा के बीच का वार्तालाप

_राजस्थानी ढोला और उसकी परदेशी प्रियतमा के बीच का वार्तालाप_ साजन तेरे देश की,है कैसी यह रीत । जित देखूँ में झांक कें,उते मिले बस प्रीत ।। सजनी मरुधर देश ये,है वीरो की खान । आपस में मिल जुल रहें,यहाँ राम रहमान ।। साजन तेरे देश के,अलग थलग क्यों रंग ।… Read more »

दोहा मुक्तक

दोहा मुक्तक ---------------- जय श्री राधे श्याम जी,जय गुरुवर,गुणिधाम । पंचभूत,  गृहदेव    जी,करता   तुम्हे   प्रणाम । भूल   हुई  कोई  अगर,क्षमा  दान  दो   आप । कृपा रखो मुझ दीन पर,करो पूर्ण सब  काम ।।  नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष श्रोत्रिय निवास बयाना Read more »

दैनिक दोहे

राम राम का  राम  है,राम  जगत आधार । राम नाम के जाप से,हो   जाता भव पार ।। राम रमा हर जीव में,राम  नही  बस राम । राम राम अनुपात में,करो राम सम काम ।। नीच  कर्म  करते  अगर,नीचा कुल का नाम । नीच  संग  रहकर  मिले,नीचा  ही  परिणाम ।। उत्तम   संगत   बैठिये,त्यागो  … Read more »

दुम दार दोहा : ०१

महाशिव रात्रि ---------------- महादेव  को  था मिला,माँ  गौरा  का साथ । फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी,बनी महाशिव रात ।। रात    मंगल    फलदायी । साथ भर खुशियाँ लायी ।। मद ---- मदिरा कंचन कामिनी,और धरा का प्यार । आज जरूरत यह बने,चाहे  अंत  बिगार ।। बात  वो  ही  ना माने । सार इनक… Read more »