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श्रृंगारिक कविता

एक सुन्दर सी नार,वाको रूपहु निखार ।  जाके लाल लाल होट, नयन  कटारि   है ।। बोले हँस हँस बोल,मन मेरो जाय डोल । है गोल गोल कपोल,सूरत  की  प्यारि है ।। मनभावन है बोली,और एकदम भोली । लागे अप्सरा हो जैसे,वो सबसे न्यारि है ।। लगा नैनो में कजरा,सज़ा बालों में गजरा ।… Read more »

होली : कविता

🔸🔹होली🔹🔸 बज रहे चंग, भर मन में उमंग, नर नारी संग संग, देखो फाग आज खेल रहे, कान्हा डार रहो रंग, ले के ग्वाल बाल संग, वो तो करे हुड़दंग, देखो एक दूजे पे उड़ेल रहे, डारो राधाहु पे रंग, रंग दीनो अंग अंग, देख बृजवासी भये दंग, ऐसे जुगल को सदा हु मेल रहे । बरसे… Read more »

शीर्षक : चिंतन

भोर भयी दिनकर चढ़ आया । दूर हुआ  तम  का अब साया ।। कर्मवीर  तुम अब  तो   जागो । लक्ष्य साध यह आलस त्यागो ।। हार जीत  सब  कर्म  दिलाता । ध्यान  धरे  वह  मंजिल पाता ।। हार कभी न  कर्म  पर  भारी । यह सब कहते नर अरु नारी ।। कर्म  बड़ा  है भाग्य से,लेना  इतना जान । क… Read more »

भोर

शीर्षक : भोर(कविता) ________________________________ स्वप्न सजाये जो पलको पर, पूरा उनको,तुम अब कर लो, भोर भया, मिट गया अँधेरा, तुम मंजिल को फिर वर लो, स्वप्न सजाये जो पलकों पर, पूरा उनको तुम अब कर लो आलस को त्यागो, बढे चलो, मन में लोे ठान,दृढ़संकल्प हो मे… Read more »

तांटक छंद : tantak chhand

शीर्षक : मेरा कृष्णा विधा : तांटक छंद ________________________________ पाप बढे जब भी धरती पर,तुमको सभी पुकारे है । रूप लिया गिरधर तब तुमने,आकर कष्ट  उबारे है । कोइ कहे मन मोहन छलिया,काली कमली वारे है । जसुदा   के   लल्ला   मतवारे, मेरे  गिरधर प्यारे है । Read more »

मुक्तक : 05

आपका इंतज़ार ------------------------ बिठा कर हम निगाहों को,किये इन्त'जार बैठे है । मचलता है कि पागल मन,लिए हम प्यार बैठे है । तमन्ना  इक  हमारी   तुम,रही  कब दूसरी  कोई । चली आओ सनम अब हम,हुए  बेक'रार बैठे  है । फ़ेसबुक और प्यार ------------------------… Read more »