प्राकृतिक आपदा  कहूँ इसे
दुष्कर्मी                 अंजाम
चहुँ दिशि कोरोना कोहराम
चहुँ दिशि कोरोना कोहराम

छुआछूत का  रोग  चला  है
छूने  भर   से   यह  फैला है
सिर का दर्द, ताप  है चढ़ता
खाँसी,      और      जुकाम

चहुँ दिशि कोरोना कोहराम
चहुँ दिशि कोरोना कोहराम

लोगों  से   दूरियां   बना लो
कोई भीड़कर नहीं खड़ा हो
बचो   भलाई  इसमें  ही   है
मिले       सुखद    परिणाम

चहुँ दिशि कोरोना कोहराम
चहुँ दिशि कोरोना कोहराम

साफ रखो परिवेश वेश को
नहीं बाद  में  देह क्लेश हो
पल पल में  साबुन से धोने
मलिन हाथ     औ     पाम

चहुँ दिशि कोरोना कोहराम
चहुँ दिशि कोरोना कोहराम

रोग  फेफड़ा कसकें जकड़े
साँस फूलती तन  ये अकड़े
जीवन की चलती गाड़ी का
करता    पहिया        जाम

चहुँ दिशि कोरोना कोहराम
चहुँ दिशि कोरोना कोहराम

स्वर्णिम पल यही होश में आओ
बचो   स्वयं  और को बचाओ
इक संकल्प निजी हित मे भी
करें         पूर्ण        अविराम

चहुँ दिशि कोरोना कोहराम
चहुँ दिशि कोरोना कोहराम
- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
 श्रोत्रिय निवास बयाना