छंद : मदन/रूपमाला

विधान : 24 मात्रा, 14,10 पर यति, आदि और अंत में वाचिक 
भार 21 कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरणों में तुकांत

देख  उसको  दिल  मचलता, प्रेम  है  या   भोग
बोध  मुझको   इसका   नहीं, कौनसा  यह  रोग
देख लेता  जब तक   न  मैं, चित्त को कब चैन
चाँद  होगा  अपना  कभी, स्वप्न   बुनती   रैन

Naveen Shrotriya utkarsh
मदन-रूपमाला छंद