DOHA CHHAND

राधे  -  राधे    हो     रही, चहुँ दिशि देखो आज
अजब गजब तेरी  छटा, गोवर्धन      गिरिराज

राधे   -  राधे     है   कहूँ, है   कान्हा   का  शोर
श्याम   रंग  में   है  रँगे, बृज  के  चारो    ओर

हे  ! केशव बृजराज सुन, बृज  में  भूखी  गाय
कौन   भरे  इनका  उदर, कोई    करो   उपाय

प्रतिमा  रख कर राम की, कमा  रहे  अब दाम
फिर भी तन  को  कष्ट है, नहीं   राम   आराम

या  कलयुग  में  दो जने, करते   पूरण   काज
पहले   श्री  महावीर  अरु, दूजे   श्री   गिरिराज

मन इच्छा  का  जब “सुमन”, हो जाता है अंत
तब     जाकर    मानव  कहीं, कहलाता है संत
त्याग  तप  उसका मानें ।
कर्म प्रभु जप को जानें ।।
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
  +91 95 4989-9145
Utkarsh Kavitawali
Doha Chhand