!! मदिरा से मत हाथ लगाना !!

मदिरा  ते  मत  हाथ लगाना,तुम्हे  जान   यदि प्यारी हो

हाथ छुये  ते  खण्डित जीवन,सभी  जगह फिर ख्वारी हो

मदिरा ते मत हाथ लगाना.........
नष्ट करे तन, धन, अरु जीवन,नष्ट  जगत व्यवहार करे

मदिरापान  करें  उनकी   इस,जीवन   मे   नहि  पार  परे

मान   घटे    मदिरा   ते   मानव, मुख  बोली  भी खारी हो

मदिरा  ते   मत   हाथ   लगाना, तुम्हे  जान जो प्यारी हो


पास   जमा   पूँजी   सब   बीते, इत    उत     हाथ   पसारे

नोन  मिर्च  कूँ   घर   के  तरसें, ताने     हर   कोई     मारे

बिक    जाते    घर   घूरे   पूरे, सर    पे    चढ़े    उधारी  हो

मदिरा के  मत  हाथ  लगाना, तुम्हे  जान   जो  प्यारी हो


मादकता मन को  अधिकाती, काम   काज  मन से उतरे

मदिरा  ही  मदिरा  सूझे बस, बाकी  सब सुधि  कूँ बिसरे

साथ   छोड़   देते   सब   संगी, जीवन   यापन   भारी  हो

मदिरा  ते मत हाथ  लगाना, तुम्हें  जान  यदि प्यारी हो 


सृजनकार : नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

श्रोत्रिय निवास बयाना, राजस्थान
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