मासूम कविता : Innocent poetry

नैना    निश्छलता    लिये,मुख से है मजलूम
भूख  मिटाने  चल पड़ा, लेकर निज  मकसूम
कौन  पराया,  है   सगा,  जाने   नही   निरीह 
हँसता - रोता,  खेलता, कभी   रहा   वह झूम

नवीन श्रोत्रिय“उत्कर्ष”
Utkarsh Kavitawali

मासूम कविता : Innocent poetry