राम राम का  राम  है,राम  जगत आधार ।
राम नाम के जाप से,हो   जाता भव पार ।।

राम रमा हर जीव में,राम  नही  बस राम ।
राम राम अनुपात में,करो राम सम काम ।।

नीच  कर्म  करते  अगर,नीचा कुल का नाम ।
नीच  संग  रहकर  मिले,नीचा  ही  परिणाम ।।

उत्तम   संगत   बैठिये,त्यागो  मलिन  विचार ।
उत्तम   से   उत्तम  बने,कहता     ये   संसार ।।

कौन  घड़ी  है  काल की,कैसे  कौन   बताय ।
धन्यवाद    केशव   तुम्हे,दीनी  भोर दिखाय ।।

✍🏻नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष"
     श्रोत्रिय निवास बयाना