आपका इंतज़ार
------------------------
बिठा कर हम निगाहों को,किये इन्त'जार बैठे है ।

मचलता है कि पागल मन,लिए हम प्यार बैठे है ।

तमन्ना  इक  हमारी   तुम,रही  कब दूसरी  कोई ।

चली आओ सनम अब हम,हुए  बेक'रार बैठे  है ।

फ़ेसबुक और प्यार
--------------------------
फिरो क्यों  फेसबुक पर  ढूँढते  तुम प्यार को यारो ।

मिले सच्चा यहाँ फिर कब,सुनो सब इश्क के मारो ।

रही  ये  फ़ेसबुक  जरिया,जुडो  इक दूसरे  से  तुम ।

मगर मतलब  ज़माना  है,इसे  भी  जान  लो प्यारो ।।

------------------

जमाना है बड़ा जालिम,समझ दिल को न  पाता है ।

रखे यह स्वार्थवश रिश्ते,कहाँ    रिश्ते    निभाता है ।

अगर आये कभी विपदा,भरोसा  स्वयं  पर  रखना ।

दिखावा है नजर का  ये,नजर  कोई   न   आता  है ।

✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
    श्रोत्रिय निवास बयाना

विनम्र निवेदन : अपनी प्रतिक्रिया अवश्य व्यक्त करें ।
【सर्वाधिकार सुरक्षित/All Rights Reserved】