छन्द : पञ्चचामर  विधान- 【 121 212 121 212 121 2】 चार चरण, क्रमशः दो-दो चरण समतुकांत --------------------------- उठो  !  बढ़ो,  रुको  नहीं, करो,  मरो,  डरो नहीं बिना      करे   तरे   नहीं,  बिना  करे नहीं कहीं पुकारती    तुम्हे    धरा, दिखा शरीर शक्ति को … Read more »