नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष" ; मुक्तक लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैंसभी दिखाएं

मुक्तक : 1222×4

लिए  कंचन  सी' काया  वो,उतर  आई  नजारों  में । करें   वो   बात  बिन  बोले,अकेले   में   इशारो  में । बिना देखे कही पर भी,मिले नहिं चैन अब मुझको ।         गगन  के  चाँद  जैसी  वो,हसीं  लगती  हजारों  मे । ===============≠=============== बसे हो इस कदर दिल में,भु… Read more »

मुक्तक : 06

(1) फिरो क्यों  फेसबुक पर  ढूँढते  तुम प्यार को यारो । मिले सच्चा यहाँ फिर कब,सुनो सब इश्क के मारो । रही  ये  फ़ेसबुक  जरिया,जुडो  इक दूसरे  से  तुम । मगर मतलब  ज़माना  है,इसे  भी  जान लो प्यारो ।। (2) जमाना है बड़ा  जालिम,समझ दिल को न पाता है । रखे यह स्वार्थवश रि… Read more »

मुक्तक : 05

आपका इंतज़ार ------------------------ बिठा कर हम निगाहों को,किये इन्त'जार बैठे है । मचलता है कि पागल मन,लिए हम प्यार बैठे है । तमन्ना  इक  हमारी   तुम,रही  कब दूसरी  कोई । चली आओ सनम अब हम,हुए  बेक'रार बैठे  है । फ़ेसबुक और प्यार ------------------------… Read more »

Muktak : मुक्तक

मुक्तक माला  प्रेम करो तज मोह , नही मन का यह गहना । निर्मल पावन प्रेम , गुणीजन    का यह कहना । प्रेम   बचे   बस एक , नही जग में कुछ रहता । छोड़ यही यह दंभ , मिलो सबसे मन कहता । --------------------------------------------- … Read more »

मुक्तक माला

मुक्तक माला  प्रेम      को    मन      में       तुम       अब     जगह   दीजिये नफरतो    को     न     अब      यूं     हवा    दीजिये मुश्किलो     से     मिला  है   इं सा     का   जनम इस     जनम     को   न   तुम  यूं    गवाँ  दीजिये … Read more »

मुक्ततावली आधार विधाता छंद [muktawali]

लिए कंचन सी ' काया वो , उतर आई नजारों में । करें   वो बात   बिन बोले , अकेले   में   इशारो में । बिना देखे कही पर भी , मिले ना चैन अब मुझको , गगन के चाँद जैसी वो , हसीं लगती हजारों मे । ===================== सभी करते म… Read more »

दोहा मुक्तक

दोहा मुक्तक ---------------- जय श्री राधे श्याम जी,जय गुरुवर,गुणिधाम । पंचभूत,  गृहदेव    जी,करता   तुम्हे   प्रणाम । भूल   हुई  कोई  अगर,क्षमा  दान  दो   आप । कृपा रखो मुझ दीन पर,करो पूर्ण सब  काम ।।  नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष श्रोत्रिय निवास बयाना Read more »