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Sikharini Chand ke lakshan Or Udaharan

शिखरिणी छंद का लक्षण और उदाहरण Sikharini  Chand   ke  lakshan  Or  Udaharan शिखरिणी छंद परिचय :- यह छंद वर्णिक छंद है, इस छंद के चार चरण होते हैं , यगण, मगण,नगण, सगण, भगण,लघु और गुरु के योग से प्रत्येक चरण में क्रमशः १७-१७  वर्ण  होते हैं ।  क्रमशः छः और ग्यारह वर्ण … Read more »

इन्द्रवज्रा छंद [ INDRAVAJRA-CHHAND ]

इन्द्रवज्रा छंद विधान और उदहारण    छंद  विधान : - यह छंद उपेंद्रवज्रा छंद से मिलता जुलता ही छंद है अथवा इन दोनों ही छंदो में नाम मात्र का भेद है।  इस छंद में क्रमशः  तगण + तगण + जगण + गुरु + गुरु [२२१+२२१+१२१+२२ = १८ ] कुल चार चरण ​, १८ मात्राएँ प्रति पंक्ति , दो-दो प… Read more »

सवैया छंद क्या है ? सवैया छंद के भेद कितने हैं ?

सवैया छंद आइये आज चर्चा करते हैं  सवैया छंद पर सवैया छंद क्या है ? सवैया छंद के भेद कितने हैं ?  सबसे पहले आते है सवैया क्या है ?  सवैया चार चरणों का समतुकान्त वर्णिक छंद है, वर्णिक छंदों में २२ से २६ अक्षर वाले छंदो को सवैया नाम से जाना जाता है अर्थात् अन्य से सवाय… Read more »

सोरठा छंद [SORTHA CHHAND]

सोरठा छंद सोरठा छंद  विधान :-   सोरठा छंद दोहा छंद  का विपरीत होता है, इसके भी दोहा के जैसे चार चरण व दो पंक्तियाँ होती हैं , विषम  चरणों में क्रमशः ग्यारह - ग्यारह  मात्राएँ एवं सम चरणों में क्रमशः तेरह - तेरह मात्रायें होती हैं। सोरठा छंद का उदाहरण :- भजो  राम   का  … Read more »

वियोग श्रृंगार-चौपाइयाँ छंद

चौपाइयाँ छंद छंद परिचय :-    छंद सनातनी परंपरा का लोकप्रिय छंद है, जिसका प्रयोग मुख्यतः बाबा तुलसी रचित रामचरित मानस में किया है ।  इस छंद की अन्य की भाँति कुल चार पँक्ति होती है, प्रत्येक  पँक्ति में यति (विराम) क्रमशः दस, आठ, बारह मात्राओं पर  सुनिश्चित है … Read more »

माहिया छंद

माहिया छंद टप्पे माहिया छंद / टप्पे महिया   तुझपे  मरते        जबसे   मैंने  जाना है जां  तेरे     ही     नां        ख्वाब     तिरे     देखे हम प्यार तुम्हे करते         इक  तुमको  पाना है कब आओगे मिलने         क्यों मतलब यारी को … Read more »

माहिया छंद - प्रसिद्ध पंजाबी टप्पे

छंद : माहिया MAHIYA CHHAND छंद परिचय :-   माहिया  छंद को टप्पे गीत नाम से भी जाना जाता है, इस छंद में संयोग और वियोग दोनों पक्षों का चित्रण किया जाता है एवं इस छंद को हास्य-परिहास  में भी लिखा जा सकता है, इस छंद की तीन पंक्तियाँ होती है जिनमे क्रमशः १२-१०-१२ मात्राय… Read more »

हरिपद छंद

हरिपद छंद   हरिपद छंद विधान :  कुल 27 मात्रायें, चार चरण  दो पंक्तियाँ समतुकांत, अंत में गुरु लघु आवश्यक उदाहरण :-  आधार छंद : हरिपद सोलह  ग्यारह   पर लिखने  हैं, चार चरण  दो  बंद  चौपाई  दोहा   का  मिश्रण, है    यह   हरिपद    छंद  सत्त… Read more »

दोहा छंद के नियम और उदाहरण

दोहा छंद के नियम और उदाहरण यह अर्द्ध सममात्रिक छंद है । इसके चार चरण होते है । विषम चरणों अर्थात् प्रथम व तृतीय का मात्रा भार 13 होता है व सम चरणों अर्थात् द्वितीय व चतुर्थ का मात्रा भार ग्यारह होता है । दोहा छंद का आरंभ जगण से करने पर लय दोष उत्पन्न होता है इसलि… Read more »

उपजाति सवैया

उपजाति सवैया  विधान :  उपजाति सवैया क्रमशः दो  सवैया का  योग है , अथवा मिश्रित रूप है । जैसे इस सवैया में क्रमशः मत्तग्यन्द सवैया और सुंदरी सवैया का समावेश है । ताप परे नित तेज लग्यौ अब, फागुन ग्रीष्म ऋतू भर आईं मेल    मिलाप  करें  ऋतु दो, बचकेउ  नव… Read more »

उपेन्द्रवज्रा छंद

उपेंद्रवज्रा छंद  UPENDRAVJRA CHHAND [जतजगुगु] छंद विधान :  क्रमशः  जगण, तगण, जगण, दो गुरु न   साधना,  वंदन, मोहि  आवै तुम्हें  रिझाऊँ, विधि  को बतावै सुवासिनी   सिद्ध  सुकाज कीजै विवेक औ बुध्दि “नवीन” दीजै - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष उपेन्… Read more »

पदपादाकुलक छंद

पदपादाकुलक छंद का विधान एवं उदहारण पदपादाकुलक  छंद  {PADPADAKULAK CHHAND} पदपादाकुलक   छंद विधान  :  –   पदपादाकुलक छंद  के चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में १६ मात्रायें होती हैं , छंद के आरम्भ में एक गुरु अथवा दो लघु (लघु-लघु) अनिवार्य होता है किन्तु त्रिक… Read more »

सुखेलक छंद : SUKHELAK CHHAND

सुखेलक छंद  :  SUKHELAK CHHAND सुखेलक छंद  विधान :-   नगण,जगण,भगण,जगण,रगण,  7/8= 15 वर्ण जग  सब भूल के,अब  बुलाय राधिका सुध बुध खो बनी,सजन देख साधिका दरस  करा   मुझे,अब  सुजान  साँवरे हृदय  जला   रही,जगत  मोह  छाँव रे Sukhelak Chhnd Ka Vidhan Or Udahar… Read more »

दिग्पाल छन्द : Digpal Chhand

दिग्पाल छन्द : Digpal Chhand   यह मात्रिक छन्द है।  यह  २४  मात्रिक  छन्द  है ।  चार चरण, १२/१२  मात्रा  पर  यति,  चरणान्त       गुरु  दो - दो  पंक्ति  समतुकान्त,  इस छन्द की मापनी निम्न है- २२१,२१२२,२२१,२१२२ Example : उदाहरण  Digpal Chhand Ka Vidhan Or Ud… Read more »

कनक मंजरी छन्द [ Kanak Manjari Chhand]

कनक मंजरी छन्द    कनक-मंजरी छन्द विधान :  यह वार्णिक छन्द है।  गुरु का अर्थ गुरु, लघु का अर्थ लघु [ चार लघु + ६ भगण (२११)+ १ गुरु ] = २३ वर्ण , चार  चरण, सभी समतुकान्त [ मापनी  ११११,२११,२११,२११, २११,२११,२११,२ ] उदाहरण :   अभी उपलब्ध नहीं  .......... … Read more »

शंकर छंद [ Shanker Chhand ]

शंकर छंद [ Shanker Chhand ]  शंकर छंद  विधान :  16/10 अंत मे गुरु लघु क्रमशः दो - दो पंक्तियाँ समतुकांत दीन सुदामा   की  पुकार को, सुनो     राधेश्याम आठ पहर  जिसके अधरों पे, कृष्ण  रहता नाम पाँच द्वार से  भीख  माँगकर, पूर्ण   करता   धर्म कैसा  ये   प्… Read more »

पञ्चचामर छन्द [Panchchamar Chhand]

छन्द : पञ्चचामर  विधान- 【 121 212 121 212 121 2】 चार चरण, क्रमशः दो-दो चरण समतुकांत --------------------------- उठो  !  बढ़ो,  रुको  नहीं, करो,  मरो,  डरो नहीं बिना      करे   तरे   नहीं,  बिना  करे नहीं कहीं पुकारती    तुम्हे    धरा, दिखा शरीर शक्ति को … Read more »

बिहारी छंद [ Bihari Chhand ]

छंद - बिहारी छंद [ Bihari Chhand ]  विधान -  इसके प्रत्येक चरण में 14+8=22 मात्राएँ होती हैं , 14,8 मात्रा पर यति होती है तथा 5,6,11,12,17,18 वीं मात्रा लघु 1 होती है । एकाक्ष,    महाकांत,   महादेव,   भगाली हे  ! नाथ  महाकाल  गुणोकीर्ति निराली मैं  मूर्ख  … Read more »

मनमनोरम छंद [MANMANORAM CHHAND]

मनमनोरम छंद रावण उवाच : देख  मेरी    दृष्टि   से   तू जान  पायेगा  मुझे  तब तारना   है  कुल मुझे वह  वक्त आयेगा चला अब हूँ कुशल    शासक,पुजारी   ईश का हूँ मैं अभी भी राम   भव    से   तारने  वापस न आएंगे कभी भी आस  लेकर जानकी जपती रही है नाम  जिन… Read more »

प्रमिताक्षरा छंद [pramitakshara Chhand] व विधान

प्रमिताक्षरा छंद विधान : सगण,जगण,सगण,सगण=12 (१) पहचान ध्येय, पथ,जीवन,को उस ओर मोड़ फिर तू मन को तज लोभ,द्वेष अरु मोह सभी भव  ताल   पार  उतरे तब ही  (२) यह  मोह मित्र  सबको छलता फँस  मोहजाल,जीवन जलता कर जाप नित्य मन मोहन का यह सार  एक  इस … Read more »