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पर मानी न मैंने भी हार

पर  मानी  न  मैंने  भी  हार हर   दिवस   सहा    स्वजनी   प्रहार पर    मानी      न     मैंने     भी  हार न     कभी   झुका   न कभी रुका हूँ पथरीले        से        नहीं    डरा   हूँ दूना        प्रयास      किया    हरबार पर   मानी… Read more »

शीर्षक : चिंतन

भोर भयी दिनकर चढ़ आया । दूर हुआ  तम  का अब साया ।। कर्मवीर  तुम अब  तो   जागो । लक्ष्य साध यह आलस त्यागो ।। हार जीत  सब  कर्म  दिलाता । ध्यान  धरे  वह  मंजिल पाता ।। हार कभी न  कर्म  पर  भारी । यह सब कहते नर अरु नारी ।। कर्म  बड़ा  है भाग्य से,लेना  इतना जान । क… Read more »