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Muktak : मुक्तक

मुक्तक माला  प्रेम करो तज मोह , नही मन का यह गहना । निर्मल पावन प्रेम , गुणीजन    का यह कहना । प्रेम   बचे   बस एक , नही जग में कुछ रहता । छोड़ यही यह दंभ , मिलो सबसे मन कहता । --------------------------------------------- … Read more »

मुक्तक : ०५

मुक्तक : 2212 1222 212 122 वो   दूर   जा   रहे   तो,हम  दूर  हो  गये है । उनकी खुशी की खातिर मजबूर  हो गये है । है  बेवफा  जमाना  हम   जानते   नही   थे । कर   प्यार  बेवफा  से  मशहूर  हो  गए  है । (२) कर प्रेम राधिका सा,मोहन     हमे     बनाना । हो वाय… Read more »