उत्कर्ष  दीप   जुगलबंदी - ०२  नहीं  होता  अशुभ  कुछ  भी, सदा  शुभ ये मुहब्बत है बसाया    आपको   उर    मे, तुम्हीं में आज भी रत है बताऊँ     मैं    प्रिया    कैसे, रहीं जब दूर तुम  मुझसे मिलन हो,श्याम श्यामा सा, कहो क्या ये  इजाजत है - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्… Read more »