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सूरजमल सुजान

गाथा : भरतपुर नरेश महाराजा सूरजमल सुजान शैली : आल्हा / वीर छंद (16/15 पदांत  गुरु,  लघु भाषा : खड़ी / ब्रज मिश्रित स्त्रोत्र : अंतर्जालीय पृष्ठ (विकिपीडिया, आदि)   गौरी   पुत्र    गणेश     पधारौ,   राजेश्वरी,   शारदा    संग इष्टदेव,  गृहदेव   सबै   मिल, भरौ   लेखनी    … Read more »

समय" किसके पास है ?

" समय" किसके पास है ? खुद ही खुद को क्यों औरों से खास है ये    समय       है ,  समय      किसके    पास है लिक्खा       है   मैंने   भावों   की   ले स्याही खुशियों   से   मातम , मातम     से तबाही शब्द     वही हैं , तो   क्या … Read more »

बसन्त [Basant]

बसन्त (नई कविता) छाई दिल में उमंग,मन हुआ है प्रसन्न सब झूम रहे है,आया झूम के  ये बसंत चारो  तरफ  हरियाली  है, रुत  ये  खुशियों  वाली है सब के चेहरे खिले हुए  है, छाई होटों पे  खुशहाली है हुआ पूर्ण समय  ज्वलंत, हुआ  सब कष्टो  का अंत सबके चित हुए … Read more »

गृहस्थ सार : 【भाग -2】आल्हा/वीर छंद

घर बाहर का मुखिया नर हो और  नारि  घर  भीतर  जान दोनों   ही  घर   के  संचालक दोनों   का  ऊँचा    है  स्थान बात करे जब मुखिया पहला दूजा   सुने   चित्त    ले  चाव बात उचित अनुचित है जैसी वैसा  ही   वह    देय   सुझाव बिना राय करना   मत  दोनों चाहे  … Read more »

गृहस्थ सार 【 भाग-1】aalha chhand

गृहस्थ : छंद - आल्हा/वीर,बृज मिश्रित ------------------------- जय जय जय भगवती भवानी कृपा कलम पर   रखियो  मात आज पुनः  लिख्यौ   है आल्हा जामै     चाहूँ        तेरौ     साथ महावीर      बजरंगी       बाला इष्टदेव    मन  ध्यान   लगाय निज  विचार   गृ… Read more »

देशहित गीत [ Desh bhakti geet ]

देशहित गीत [ Desh Bhakti Geet ] पाकिस्तान  करे  मनमानी, उसे   जवाब   जरूरी है  मूक  बने  बैठे   क्यों मोदी,आखिर क्या मजबूरी है  छप्पन इंच का सीना फिर, क्यों ये साहस खोता है  मौन  साधना   देख  तुम्हारी, वीर सिपाही रोता है  नैन  अगारी   देश   द्रोह … Read more »

उत्कर्ष दोहावली

उत्कर्ष  दोहावली राधा  जपती  कृष्ण  को, कृष्ण  राधिका  नाम प्रीत  निराली  जग   कहे, रही   प्रीत  निष्काम  राम   नाम   ही   प्रीत  है, राम      नाम वैराग राम   किरण  है  भोर की, रे मानस मन जाग मन की मन में राखि ले,जब तक बने न काम निज कर्मन पर ध्यान… Read more »

विदाई गीत- Vidai Geet

हाय रे ! देखो किस्मत है खोटी, पराये घर,विदा हो जाती है बेटी, किसी ने नाम दिया तो , किसी का नाम है पाती, किसी ने पाला है इसको, किसी का आँगन है सजाती, घर की सब खुशियाँ है जब रूठी, पराये घर,विदा हो जाती है बेटी, बेटी कुछ अरमान संजोती, मेर… Read more »

तांटक छंद : tantak chhand बेटियाँ

पीले  हाथ  किये  बाबुल  ने,अपनी  बेटी  ब्याही है । अब तक तो कहलाई अपनी,अब वो हुई परायी है ।। नीर  झलकता है  पलको से,बेला  करुणा  की आयी । चली सासरे वह निज घर से,दुख की बदली है छायी ।। मात-पिता,बहिना अरु भाई,फूट - फूट  कर  रोते है । अपनी   प्यारी    लाडो   से,द… Read more »

माँ : Maa (Mother day Special)

!! माँ : MAA !! मातृ मूल्य समझे नही,देख गजब संजोग अपनी  माता  छोड़  के,पाहन  पूजत लोग दोनों की महिमा बड़ी,किसका करूँ बखान माँ  धरती  के तुल्य है,पिता आसमाँ जान नंगे  पग, तपती  धरा, मास रहा  जब जेठ भिक्षा   मांगी  मात  ने, भरा   पुत्र  का पेट भ… Read more »

मेरा देश मेरा भारत [doha or chaupai]

"मेरा देश-मेरा भारत" रहमान  संग  में  यहाँ,ईसा,  नानक, राम । वीरों  की जननी यही,भारत इसका नाम ।। विश्व पटल पर छाया न्यारा । प्यारा   भारत   देश हमारा ।। राणा,   पन्ना,  भामा,  मीरा । यही  हुए  रसखान,कबीरा ।। चरक,हलायुध,अब्दुल,भाभा । विश्व पटल की … Read more »

चींटी और हाथी (A Ant or Elephant)

छंद : आल्हा/वीर शैली : व्यंग्य अलंकरण : उपमा,अतिशयोक्ति --------------------------------------------- चींटी  एक  चढ़ी  पर्वत पे,        गुस्से से होकर के लाल । हाथी आज नही बच पावे,        बनके आई मानो काल । -------- कुल    मेटू     तेरे   मैं    सारो,    कोऊ आ… Read more »