!! सा• ममता बनर्जी “मंजरी” जी की कलम से  !!

नवीन जी की रचनाओं पर समीक्षा
गद्द  और  पद्द  दोनों  विधाओं  के  पारंगत रचनाकार नवीन श्रोत्रिय" उत्कर्ष " जी की रचनाओं पर समीक्षा करना हालांकि मेरे लिए बहुत कठिन जान पड़ता है फिर भी कोशिश कर रही हूँ। वैसे ही आज बड़ी मुश्किल से इतनी देर गये  दोबारा  पटल  पर  आने  का  मौका  मिला है । पहली रचना चौपाई और दोहा दोनों छंदों पर आधारित बहुत ही सुन्दर  है जिसमें मानव को एक कर्मवीर की भांति आगे बढ़ने को प्रेरित करती है । वास्तव में ,कर्मवीर अपना भाग्य खुद ही गढ़ कर पूर्ण जीवन को प्राप्त करते हैं । इतनी कम उम्र में छंदों पर रचनाएं लिखकर मानव समाज को नई दिशा प्रदान  करके नवीन जी ने यह सिद्ध कर दिया कि कर्मवीर क्या नहीं कर सकते ? बहुत खूब ! दूसरी रचना राजस्थानी पृष्ठ भूमि पर लिखी "ढोला और प्रियतमा के बीच का वार्तालाप"वाकई अति सुंदर  दोहा छंद  पर  लिखी  गई  इस  रचना ने मानों हमें साक्षात्  राजस्थान दर्शन करा दिया है । नमन राजस्थान की पुण्य भूमि को ,नमन यहाँ के वीर -वीरांगनाओं को और अशेष बधाई कवि नवीन जी को । आशा  ही नहीं,पूर्ण विश्वास है  कि कभी  मुझे  माँ  के  दर्जे  में  बिठाकर मेरे साथ देर रात तक जगकर दोहा और चौपाई छंद पर रचना करने वाला  छोटा सा बच्चा एक दिन साहित्य के आकाश को अवश्य छुएगा । मैं नवीन जी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ । 
समीक्षका : सा•ममता बनर्जी "मंजरी"